लॉकडाउन में कालाबाजारियों की बल्ले बल्ले

लॉकडाउन में जरूरत के समान का संकट और कालाबाजारियों की पौबारहा
भोपाल ( कौशल सिंह त्यागी ) :- जहाँ पूरा देश कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन का दंश झेल रहा है हैं वही इस लॉकडाउन का फायदा करोबारी न उठायें ऐसा कभी हो सकता है इनके द्वारा दमों के डंक तो झेलना तो पड़ेंगे ही हो भी क्यों न इस महामारी में ही तो इनका मौका हैं जब आम आदमी अपने गली मौहल्लों से बाहर जा नहीं सकता और यदि चन्द पैसे बचाने के लिये जाने की कोशिश करता भी है तो लोगों को प्रशाशन घर पर रहने की सलाह देने लगता है और इस महामारी फैलने का मुख्य सरगना बना देता है जो कि बड़े हुए दर पर दैनिक उपयोगी वस्तुओं को बेच रहे हैं उन पर किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं करता यदि आप ध्यान दें जो समान 22 मार्च से पहले जिस डर पर मिलता था आज उसकी कीमत 30 प्रतिशत से ऊपर दाम पर लेने को मजबूर है उपभोक्ता मरता क्या न करता कुछ बचाने के लिये मुख्य बाजार अर्थात थोक बाजार तो ये जा नहीं सकते तो फिर क्या बात है अब अपना वक़्त है जो तेल का एक लीटर का पैकेट 85 रु में मिलता था अब उसी दुकान से वह अधिकतम खुदरा मूल्य पर बेचा जा रहा है क्या कभी उस दर पर व्यपारियों ने अधिकतम खुदरा मूल्य का जीएसटी चुकाया कभी नहीं इस प्रकार से मौत तो उस मध्यमवर्गी परिवार की जो एक साथ साल भर का राशन तो ले नहीं सकता और अब उसे उसी दूकानदार के द्वारा वही समान यह कह कर की बाजार में समान उपलब्ध नहीं हैं वही से महंगा आरहा है क्या करे उस रेट पर लेने को मजबूर है हर आम आदमी यदि सरकार व्यपारी को प्रतिबंधित करते हुए उसको लॉकडाउन का पालन ग्राहकों से कराने हेतु सख्ती करती तो न तो सोशल डिस्टेंस का फार्मूला भी सही तरीके से लागू हो जाता और आम जनता को अधिक मूल्य पर सामान भी नहीं खरीदना पड़ता यदि आप देखें तो हर दुकान पर सोशल डिस्टेंसिन्ग की धज्जियां उड़ती हुई आपको दिख जाएँगी क्योंकि दुकान पर तो व्यपारियों ने अपने गेट से 4 फिट की दूरी पर एक रस्सी बांध दी पर उस रस्सी के पार जो उसका ग्राहक खड़ा है वह एक दूसरे से बिल्कुल सटकर खड़ा हुआ है और यही सरकार चाहती है कि ग्राहक किसी भी दुकान पर सटकर खड़ा न हो उसके चारों ओर दूसरे ग्राहक की दूरी कम से कम 3.5 फिट की होनी चाहिये जिससे डिस्टेंस बरकार रहे और कोरोना संक्रमण की चैन को तोड़ा जा सके परन्तु व्यपारी तो सिर्फ लूटने के लिये बैठा है।उस व्यपारी को उससे कोई मतलब नहीं सिर्फ और सिर्फ इस डर से कार्य कर रहा है यह ग्राहक कहीं पड़ोस में न चला जाये और इस महामारी मेरी अधिक से अधिक मूल्य पर मेरी दुकान का सामान बिक जाये और तो और जहाँ एक ओर सरकार ने लॉकडाउन में सिगरेट तंबाकू पर पूर्ण रूप से प्रतिबन्ध लगा रखा है फिर भी ऐसी दुकानें किराने की दुकान के नाम पर खुल रही हैं इनको न तो रोक जा रहा है न ही इन पर प्रशाशन की कोई नजर है जबकि गुटखा एवं तम्बाखू पर पूर्ण रूप से प्रतिबन्ध है यहाँ तक कि यदि कोई व्यक्ति थूकते हुए पकड़ा जाता है तो उस पर जुर्माना है फिर भी प्रशासन एवं शासन ऐसी दुकानों पर कार्यवाही क्यों नहीं कर रहा जिन पर साफ साफ बड़े शब्दों में लिखा है गुटका एवं पान मसाला के थोक विक्रेता ।
 प्रशासन एवं शासन को ऐसे दुकानदारों के खिलाफ कार्यवाही उनके गुमास्ता एवं जीएसटी नम्बर को निरस्तीकरण की कार्यवाही की जाना चाहिये


 


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